यह एक बेल है, जो बगीचों और घरो में
सुन्दरता बढाने के लिए लगाई जाती है। बारिश के दिनों में इसमें फलिया और फूल लगते है।
इसमें दो रंग के फूल लगते है, सफेद और नीले
।
इस्तेमाल का तरीका-
- सिरदर्द में अपराजिता की फली की 8-10 बूँद रस को या उसकी जड़ के रस को सुबह खाली पेट नाक में डालने से सिरदर्द मिट जाता है। आधे सिरदर्द में (माईग्रेन) इसके बीजों के चार-ख्सा बूँद रस को नाक में डालने से फायदा होता है।
- खाँसी, बच्चों मे कुक्कुर खाँसी और दमें मे इसकी जड़ का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।
- टान्सिल की सूजन में गले में छाले या आवाज बन्द होने पर, अपराजिता के 10 ग्राम पत्तों को आधा लीटर पानी में इतना उबाले कि आधा पानी शेष रहे, इस काढ़े को मुँह में 5-10 मिनट तक रखने से या कुल्ला करने से लाभ होता है।
- गलगण्ड /गले में गाँठ होने पर अपराजिता की जड़ के आधे चम्मच चूर्ण को घी में मिलाकर पीने से या इसके फल के चूर्ण को गले के अंदर लगाकर धिसने से लाभ होता हे।
- पीलिया मे इसकी जड़ का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में मट्ठे के साथ देने से पीलिया मिटता है।
- गठिया और पेशाब की समस्याओं में आधा चम्मच सूखे जड की चूर्ण को पानी या दूध में दिन में 2-3 बार प्रयोग करने से लाभ होता हैं ।
- सफेद फूल वाली अपराजिता की 5 ग्राम छाल या पत्तों को 1 ग्राम जड़ को बकरी के दूध में पीसकर और छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह शाम मिलाकर पिलाने से गिरता हुआ गर्भ ठहर जाता है, और कोई पीड़ा नहीं रहती है।
- पेशाब की थैली में पथरी होने पर इसकी पाँच ग्राम जड़ को चावलो के धोए हुए पानी मे पीस, छानकर कुछ दिन तक सुबह शाम तक पिलाने से पथरी कट कर निकल जाती है।
- सिरके के साथ इसकी 10 से 20 ग्राम जड को पीसकर लेप करने से उठते हुए फोड़े फूटकर बैठ जाते है।
- बच्चों मे पेट दर्द होने पर (अफारा) आदि इसके 1 या 2 बीजों को आग पर भूनकर माता या बकरी के दूध या घी के साथ चटाने से जल्दी लाभ होता है।
और अधिक जानकारी के लिए आप सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक आ सकते है यहाँ हमारे बगीचे मे और अधिक जड़ी बूटियों के बारे मे जान सकते है और डॉक्टर के सलाह पर इस्तेमाल भी कर सकते है