ग्वारपाठा
यह एक पौधा है,
जिसकी जड़ के ऊपर से ही चारों तरफ गूदे से भरे मोटे- मोटें पत्ते होते
है। ज्यादातर लोग इसे घरों में गमलों में ही लगा लेते है।
इस्तेमाल का तरीका-
- इसकी 3-4 चम्मच जड़ के टुकडों का काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार पिलाने से बुखार छूट जाता है।
- शक्कर की बीमारी में ग्वारपाठे का 1 चम्मच गूदा और एक चैथाई चम्मच गिलोयसत्व लेने से फायदा होता है।
- छोटे बच्चों को कब्ज होने पर बच्चे की नाभि पर साबुन के साथ इसके गूदे का लेप करने से दस्त साफ होता है।
- पेशाब की समस्या में इसके 3 से 4 चम्मच गूदे में शक्कर मिलाकर खाने से फायदा होता है।
- पीलिया में ग्वापाठा का 4 चम्मच रस दिन में 2 से 3 बार पिलाने से पीलिया मिटता है। इससे आँखों का पीलापन और कब्ज दूर हो जाता है।
- पेट में दर्द होने पर इसका 3-4 चम्मच जड़ के टुकडों को कुचलकर, छानकर उसमें जरा सी भूनी हुई हींग मिलाकर देने से पेट का दर्द कम हो जाता है।
- जाठून (जपा) नाम के फूल को 2 चम्मच ग्वारपाठे के गूदे के साथ खाली पेट खाने से स्त्रियों में मासिक धर्म साफ आता है।
- यदि कान में कीड़े पड गए हो, तो ग्वारपाठे को पानी में पीसकर उसे दो-दो बूँद कान में डालने से कीड़े मर जाते है।
- लाल फूलों वाले ग्वारपाठे के गूदे को स्प्रिट में गलाकर सिर में लगाने से बाल काले हो जाते है। गंजे सिर पर लगाने से बाल उग आते है।
- इसके गूदे को आग मे जले हुए स्थान पर लगाने से जलन शान्त होती है, ओर फफोले नहीं पड़ते है।
- चमड़ी के रोग मे ग्वारपाठा के गूदे को नीम के पत्तों के साथ पीसकर या उनका रस लगाने से फायदा होता है।
- इसके गूदे को आँखों में लगाने से लाली मिटती है, और इसके गूदे पर हल्दी डालकर थोडा सा गर्म कर आँखों पर बांधने से आँखों का दर्द खत्म हो जाता है।