यह एक बहुत उपयोगी पौधा है, जो कई रोगों का निवारण करता
है,
और सभी जगह यह आसानी से पाया भी जाता है। यह एक सुन्दर, सस्ती, खूशबूदार और असरकारी दवा है।
इस्तेमाल का तरीका-
- चमड़ी के रोगों में तुलसी के पत्तों का रस 3-4 चम्मच रोज पीना चाहिए । इसके पत्तों को नींबू के रस या ग्वारपाठे के गूदे के साथ पीसकर लगाने से चमड़ी से संबंधित सभी तकलीफों में आराम पहुँचता है।
- आधा चम्मच तुलसी के चूर्ण (पावडर) केा शहद के साथ चाटने से सिर दर्द में फायदा होता है और तुलसी के पाँच पत्ते पानी के साथ निगलने से दिमाग तेज होता है।
- तुलसी का तेल सिर में लगाने से जूँ और लीखे मर जाती है तथा चेहरे पर उपयोग करने से चेहरे का रंग साफ हो जाता है।
- जी मचलाने या उल्टी होने पर दो चम्मच तुलसी के पत्तों का रस 1 इलायची और एक चम्मच अदरक का रस के साथ पीना चाहिए ।
- ज्यादातर छोटे बच्चो में सर्दी- खाँसी- बुखार जैसे लक्षण पाए जाते है, जो निमोनिया भी हो सकता है, इसमे 1-2 चम्मच काली तुलसी के पत्तों के रस में गाय का घी दुगुनी मात्रा में लेकर उसे गुनगुना करके चाटने में 2 से 3 दिन में आराम मिलता है। इससे असर न होने पर डाक्टर की सलाह ले ।
- खाँसी होने पर 1-2 चम्मच तुलसी के रस में एक चैथाई चम्मच काली मिर्च पावडर डालकर पीने से खाँसी कम होती है।
- दस्त लगने पर तुलसी के पत्तों के रस के साथ आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा शहद के साथ मिलाकर चाटने से दस्त कम हो जाते है।
- नामर्दी में तुलसी के बीज का चूर्ण या जड़ (मूल) के चूर्ण में बराबर की मात्रा में गुड़ मिलाकर आधे से एक चम्मच गाय के दूध के साथ लगातार लेते रहने से एक महीने या छः हफ्तों में असर होता है।
- घुटनों के दर्द या जोड़ों में सूजन हो तो (1 से डेढ़ चम्मच) तुलसी पौधे के चूर्ण को को दूध के साथ पीने से फायदा पहॅुचता है।
- बुखार में तुलसी पत्तों के चूर्ण, सौंठ और अजवाईन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर दिन में तीन बार लेने से बुखार कम होता है।
और अधिक जानकारी के लिए आप सम्भावना ट्रस्ट क्लीनिक आ सकते है यहाँ हमारे बगीचे मे और अधिक जड़ी बूटियों के बारे मे जान सकते है और डॉक्टर के सलाह पर इस्तेमाल भी कर सकते है